"कुँवर चन्द्रप्रकाश सिंह ने एक प्रतिभाशाली एवं मेहनती छात्र के रूप में मुझे प्रभावित किया है। ये बड़े कर्मठ एवं सक्षम युवक हैं। साथ ही एक उदीयमान कवि भी हैं।"
— डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल, बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी
"भारतेन्दु, प्रसाद और उनके समकालीन अन्य नाटककार जिस ऊँचाई पर नाट्य साहित्य को छोड़ गए, उसे स्थिर रखना और आगे बढ़ाना हमारी ज़िम्मेदारी है। श्री चन्द्रप्रकाश सिंह इस दिशा में अग्रणी हैं। उनका नाट्य लेखन भारतीय और पाश्चात्य नाट्य प्रणालियों का समन्वय है, जो उन्हें अद्वितीय बनाता है।"
— द्वारिका प्रसाद मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री, म. प्र.
"कुँवर चन्द्रप्रकाश जी के काव्य की परिष्कृत और प्रांजल पदावली भाषा पर उनके अधिकार की परिचायक है। उनके शब्द प्रयोग 'निराला शैली' के हैं, जो उनकी गहरी साहित्यिक समझ को दर्शाते हैं।"
— आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी
"गोविन्द हुलास' वास्तव में एक ऐतिहासिक और साहित्यिक कृति है। इसके प्रकाशन से हिन्दी नाटक के इतिहास का एक नया पृष्ठ खुला है। यह कार्य बड़ौदा विश्वविद्यालय और प्रो. चन्द्रप्रकाश सिंह के मौलिक योगदान का उत्कृष्ट उदाहरण है।"
— आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
"रामदूत महाकाव्य में कविवर कुँवर चन्द्रप्रकाश सिंह ने हनुमान को केंद्र में रखकर जो काव्य-रचना की है, उसमें उनकी शक्ति, समर्पण, और भाव-गहनता का अद्वितीय परिचय मिलता है।"
— महादेवी वर्मा