KUNWAR CHANDRA PRAKASH SINGH

कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह जी ने गद्य और कविता दोनों में रचनात्मक और आलोचनात्मक कार्यों का एक बड़ा संग्रह प्रस्तुत किया है, जो नई पीढ़ी के विद्वानों और लेखकों द्वारा बहुत अच्छी तरह से सराहा गया है। श्याम सुंदर दास ने कुंवर साहब के बारे में यह कहा है कि उनके कार्यों ने साहित्यिक दायरे में एक नई ऊर्जा भर दी है। उनकी लेखनी विचारशीलता और गहराई का अद्भुत संयोजन प्रस्तुत करती है, जिससे युवा लेखक और पाठक प्रेरणा लेते हैं। कुंवर साहब की रचनाएँ न केवल साहित्यिक मूल्य रखती हैं, बल्कि वे समाज और संस्कृति के विविध पहलुओं पर भी प्रकाश डालती हैं, जिससे वे समय के साथ और भी प्रासंगिक बनती हैं। उनकी उपलब्धियों के कारण, वे समकालीन साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

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जीवन परिचय


जन्म:

शरद पूर्णिमा संवत् 1967
तदनुसार 18 अक्टूबर सन् 1910
ग्राम: पैसिया, जिला: सीतापुर
अमृतत्ववरण: पापांकुशा एकादशी, सं. 2054


शिक्षा
  • बी. ए. - लखनऊ विश्वविद्यालय (सर जार्ज लैम्बर्ट स्वर्णपदक विजेता)

  • एम. ए. - नागपुर विश्वविद्यालय

  • डी. लिट्. - नागपुर विश्वविद्यालय


अध्यापन कार्य

युवराजदत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, लखीमपुर खीरी
अध्यक्ष, हिंदी विभाग एवं वाइस प्रिंसिपल
कार्यकाल: 1943 से 1958

बड़ौदा विश्वविद्यालय, गुजरात
आचार्य एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग
कार्यकाल: 1958 से 1965

जोधपुर विश्वविद्यालय, राजस्थान
वरिष्ठ आचार्य एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग
अधिष्ठाता, कला संकाय
कार्यकाल: 1965 से 1969

मगध विश्वविद्यालय, बोधगया, बिहार
वरिष्ठ आचार्य एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग
अधिष्ठाता, कला संकाय
कार्यकाल: 1969 से 1974

जनेस्मा महाविद्यालय, बाराबंकी
यू.जी.सी. की शोध परियोजना:
"हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास में हिन्दीतर क्षेत्रों का योगदान"
कार्यकाल: 1974-1978

  • कार्यकाल: 1943 से 1958


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